देश को आजादी मिले कई साल बीच चुके हैं लेिकन आज भी नागरिक की स्वतंत्रता और फ्रीडम ऑफ स्पीच को लेकर सवाल उठाए जाते हैं। महानायक अमिताभ बच्चन ने कोलकाता इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में वीरवार को अपने विचार व्यक्त किए और उनके इस बयान पर भी विवाद खड़ा होता दिख रहा है। एक तरफ फिल्म पठान के गाने को लेकर विवाद जारी है, दूसरी और अमिताभ बच्चन के इस बयान को लेकर चरचा शुरु हो गई है। हालांकि समारोह में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अमिताभ की इस बात समर्थन किया। उन्होंने कहा कि अमिताभ ये बात कह गए, जो कोई नहीं कह सकता। इस दौरान एक्टर शत्रुघन सिन्हां, शाहरूख खान, रानी मुखर्जी, महेश भट्ट, जया बच्चन आदि भी मुख्य तौर पर मौजूद रहे। वहीं भाजपा आईटी सैल के हैड अमित मालवीय ने कहा है कि अमिताभ के शब्द बंगाल से ज्यादा स्टीक किसी और जगह के लिए नहीं हो सकते क्योंकि उन्होंने आजादी की बात ऐसी जगह कही, जहां चुनाव के बाद सबसे ज्यादा हिंसा हुई।
दर्शकों को हल्के में नहीं ले सकते
अमिताभ ने कहा कि हम दर्शकों को हल्के में नहीं ले सकते। दर्शकों के पास हर तरह का कंटेंट होता है। वे इसे कहां देखना चाहते हैं, यह उनकी मर्जी है। अमिताभ ने ये बात उस समय कही, जब शाहरुख खान की फिल्म पठान को लेकर विवाद चल रहा है।
अमिताभ को भारत रत्न देने की मांग
कोलकाता इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के 28वें एडिशन के इनॉगरेशन के मौके पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी पहुंची थीं। इसी दौरान ममता ने अमिताभ बच्चन को भारत रत्न देने की मांग भी कर डाली। उन्होंने कहा- भारतीय सिनेमा में अमिताभ के लंबे योगदान के लिए बंगाल उन्हें भारत रत्न देने की मांग उठाएगा।
बंगाल कभी झुकता नहीं, कभी भीख नहीं मांगता
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इशारों-इशारों में भाजपा पर निशाना भी साधा। ममता बोलीं- बंगाल मानवता, एकता, विविधता और एकीकरण के लिए लड़ता है। बंगाल न तो सिर झुकाता है और न ही भीख मांगता है। मानवता के लिए अनेकता में एकता के लिए बंगाल हमेशा साहस के साथ लड़ता है। यह लड़ाई आगे भी जारी रहेगी। बंगाल कभी झुकता नहीं, कभी भीख नहीं मांगता, हमेशा सिर ऊंचा रखता है।
महेश भट्ट बोले- पश्चिमी विचार खारिज नहीं कर सकते
कार्यक्रम में महेश भट्ट ने कहा- आज के राजनीतिक वातावरण में भारत के बच्चे पश्चिमी विचारों को खारिज करने की कोशिश करते हैं। टैगोर के ये शब्द सभी भारतीयों के दिलों में गूंजने चाहिए कि भारत सभी जातियों को एकजुट करने के लिए है। किसी जाति, किसी संस्कृति को अस्वीकार करना भारत की भावना नहीं है। हमारा सर्वोच्च उद्देश्य होना चाहिए कि हम सभी चीजों को सहानुभूति और प्रेम के साथ समझें। यही भारत की भावना है।