बच्चों को पढ़ने के हर रोज सुबह उठाने के लिए अब पैरेंट्स नहीं बल्कि मंदिर-मस्जिद के लाउड स्पीकर की आवाज का इस्तेमाल किया जाएगा। ये नया फरमान हरियाणा में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए जारी हुआ है। कक्षा 10 और 12 के छात्रों की वार्षिक बोर्ड परीक्षा को ज्यादा समय नहीं बचा है। ऐसे में हरियाणा शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों के प्रधानाचार्यों को घर पर सीखने का अनुकूल माहौल बनाने के लिए ग्राम पंचायतों से संपर्क करने को कहा है। हरियाणा सरकार ने कहा है कि धार्मिक स्थलों पर लगे लाउडस्पीकरों का इस्तेमाल रोज सुबह छात्रों को जगाने के लिए किया जाएगा ताकि छात्र जल्दी उठकर पढ़ाई कर सकें। सुबह उठकर याद किया विषय लंबे समय तक रहेगा याद सरकार का मानना है कि अगर बच्चे सुबह जल्दी उठकर पढ़ाई करेंगे तो उन्हें विषय लंबे समय तक याद रहेगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हरियाणा सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने इस संबंध में लिखित आदेश जारी किया है। इस आदेश के तहत ग्रामीण या शहरी क्षेत्र के सभी मंदिरों, मस्जिदों और गुरुद्वारों के सेवादारों को सुबह साढ़े चार बजे बुलाया जाएगा और लाउड स्पीकर पर बोलकर बच्चों को उठकर पढ़ने को कहा जाएगा। इस ध्वनि को सुनकर माता-पिता को अपने बच्चों को पढ़ाना पड़ेगा। इस पहल में खानापूर्ति नहीं होगी बल्कि माता-पिता के साथ-साथ शिक्षक भी शामिल होंगे। शिक्षक अपनी कक्षा के बच्चों का बनाएंगे व्हाट्सएप ग्रुप शिक्षक अपनी कक्षा के बच्चों का व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर सुबह 4:30 बजे उठकर यह चेक करेंगे कि बच्चों के व्हाट्सएप ग्रुप पर कौन से बच्चे ऑनलाइन हैं। हरियाणा में बोर्ड कक्षाओं के शिक्षा स्तर में सुधार के लिए सरकार यह पहल कर रही है। इस पहल में शिक्षक, अभिभावक और पंचायतों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। इस संबंध में हरियाणा सरकार भी नवनिर्वाचित पंचायत सदस्यों से गांव में शिक्षा का माहौल बनाने की अपील करेगी। हरियाणा सरकार का तर्क यह भी है कि सुबह दिमाग बिल्कुल साफ होता है और माहौल शांत होता है। अगर बच्चा अभी पढ़ेगा तो उसे लंबे समय तक याद रहेगा। हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर का कहना है कि पुराने जमाने में भी लोग सुबह उठकर ही पढ़ाई करते थे। निदेशक (माध्यमिक शिक्षा) अंशज सिंह ने जिला शिक्षा अधिकारियों और राज्य के सभी सरकारी स्कूलों के प्राचार्यों को पत्र भेजकर दसवीं और बारहवीं की परीक्षा की तैयारी के लिए उचित कदम उठाने को कहा है। लाउडस्पीकर को लेकर बने हैं नियम हालांकि साल 2000 में बने नॉयज पॉल्यूशन रूल्स में लाउडस्पीकर और दूसरे वाद्य यंत्रों के इस्तेमाल को लेकर नियम है। इन नियमों के मुताबिक रिहायशी इलाकों में दिन के समय ध्वनि का स्तर 55 डेसीबल और रात के समय 45 डेसीबल से ज्यादा नहीं होना चाहिए। अगर नियम तोड़ते हैं तो इसके लिए 5 साल कैद भी हो सकती है।