दवाई असली है या नकली यह अब QR कोड से पता चलेगा। केंद्र सरकार ने दवाओं में इस्तेमाल होने वाले एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट्स (API) पर QR कोड डालना अनिवार्य कर दिया है। यह नया नियम पहली जनवरी 2023 से लागू हो गया है।
कंपनी को ट्रैक करना होगा आसान
QR कोड लगाने से असली और नकली दवाओं की पहचान में आसानी तो होगी ही, साथ ही इससे कच्चे माल के सप्लायर से लेकर दवा बनाने वाली कंपनी को ट्रैक करना आसान होगा। फार्मास्युटिकल फर्म का पता लगाना आसान होगा। यह जानकारी हासिल करना भी आसान हो जाएगा कि दवा के फॉर्मूले के साथ कोई छेड़छाड़ की गई है या नही। इसके अलावा API उत्पाद कहां से आया और कहां जा रहा है, इसे भी ट्रैक किया जा सकेगा।
दवा संगठनों ने भी नियम बनाने की मांग की थी
निजी अखबार को जानकारी देते हुए हिमाचल दवा निर्माता संघ के अध्यक्ष डॉ. राजेश गुप्ता ने बताया कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय अरसे से दवा उद्योग को गुणवत्तापूर्ण API उपलब्ध कराने की दिशा में काम कर रहा है। इसके तहत ही बार कोडिंग को अनिवार्य किया गया है। विभिन्न दवा संगठन भी इस संदर्भ में काफी समय से नियम बनाने की मांग कर रहे थे।
2019 में बार कोडिंग प्रस्ताव को मिली थी मंजूरी
इसी मांग के मददेनजर ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड ने जून 2019 में बार कोडिंग के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। कई रिपोर्ट में दावा किया जा चुका है कि देश में 3 प्रतिशत दवाएं घटिया गुणवत्ता की हैं। ऐसे में अगर QR कोड में निर्माता और बैच नंबर की जानकारी होगी। साथ ही उत्पाद की एक्सपायरी और आयातक की जानकारी भी मिलेगी। हिमाचल दवा निर्माता संघ के अध्यक्ष डॉ. राजेश गुप्ता ने कहा कि API पर QR कोड के लागू होने से आयात तक से लेकर दवा निर्माता तक की ट्रैकिंग की जा सकेगी। इस कदम से API की कालाबाज़ारी पर भी रोक लगेगी।