प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु गोबिंद सिंह के साहिबजादों के बलिदान को याद करते हुए कहा कि उनके त्याग और उनकी इतनी बड़ी ‘शौर्यगाथा’ को इतिहास में भुला दिया गया। उन्होंने कहा कि लेकिन अब ‘नया भारत’ दशकों पहले हुई एक पुरानी भूल को सुधार रहा है। पीएम मोदी ने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से हमें इतिहास के नाम पर वह गढ़े हुए विमर्श बताएं और पढ़ाए जाते रहे, जिनसे हमारे भीतर हीन भावना पैदा हो। बावजूद इसके हमारे समाज और हमारी परंपराओं ने इन गौरव गाथाओं को जीवंत रखा।” उन्होंने कहा कि अगर हमें भारत को भविष्य में सफलता के शिखर पर ले जाना है तो हमें अतीत के संकुचित नजरियों से भी आजाद होना पड़ेगा।
राजधानी स्थित मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में सिख गुरु, गुरु गोविंद सिंह के साहिबजादों की शहादत की याद में पहले ‘‘वीर बाल दिवस” के अवसर पर आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने यह बात कही। इससे पहले प्रधानमंत्री ने लगभग 300 बच्चों द्वारा किए गए शबद कीर्तन में भाग लिया। मौके पर पीएम मोदी ने वीर साहिबजादों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि मैं अपनी सरकार का सौभाग्य मानता हूं कि उसे आज 26 दिसंबर के दिन को ‘वीर बाल दिवस’ के तौर पर घोषित करने का मौका मिला।
वीर बाल दिवस हमें दस गुरुओं का योगदान बताएगा
पीएम ने कहा कि ‘वीर बाल दिवस’ हमें याद दिलाएगा कि दस गुरुओं का योगदान क्या है, देश के स्वाभिमान के लिए सिख परंपरा का बलिदान क्या है। ‘वीर बाल दिवस’ हमें बताएगा कि- भारत क्या है, भारत की पहचान क्या है। पीएम मोदी ने भारत के इतिहास में वीरता और पराक्रम का जिक्र करते हुए कहा, “इतिहास से लेकर किंवदंतियों तक, हर क्रूर चेहरे के सामने महानायकों और महानायिकाओं के भी एक से एक महान चरित्र रहे हैं। लेकिन ये भी सच है कि, चमकौर और सरहिंद के युद्ध में जो कुछ हुआ, वो ‘भूतो न भविष्यति’ था।
भारत के वीर बालक औरंगजेब के जुल्म से घबराए नहीं
प्रधानमंत्री ने कहा कि औरंगजेब के आतंक के खिलाफ, भारत को बदलने के उसके मंसूबों के खिलाफ, गुरु गोबिंद सिंह जी पहाड़ की तरह खड़े थे। लेकिन जोरावर सिंह साहब और फतेह सिंह साहब जैसे कम उम्र के बालकों से औरंगजेब और उसकी सल्तनत की क्या दुश्मनी हो सकती थी? वो दीवार में जिंदा चुन गए लेकिन उन्होंने उन आततायी मंसूबों को हमेशा के लिए दफन कर दिया। दो निर्दोष बालकों को दीवार में जिंदा चुनवाने जैसी दरिंदगी क्यों की गई? वो इसलिए क्योंकि औरंगजेब और उसके लोग गुरु गोबिंद सिंह के बच्चों का धर्म तलवार के दम पर बदलना चाहते थे। लेकिन भारत के वो बेटे, वो वीर बालक, मौत से भी नहीं घबराए।
गुलामी से मानसिकता से मुक्ति का प्राण
उन्होंने कहा कि आजादी के ‘अमृतकाल’ में देश ने ‘गुलामी की मानसिकता से मुक्ति’ का प्राण फूंका है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि युवा अपने साहस से समय की धारा को हमेशा के लिए मोड़ देता है और इसी संकल्प शक्ति के साथ आज भारत की युवा पीढ़ी भी देश को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए निकल पड़ी है। मोदी ने कहा कि सिख गुरु परंपरा केवल आस्था और आध्यात्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि ‘‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत” के विचार का भी प्रेरणापुंज है। पीएम मोदी ने कहा कि उस दौर की कल्पना करिए!
साहिबजादों का बलिदान हमें प्रेरित करता है- पीएम मोदी
इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया का इतिहास जुल्म और अन्याय की कहानियों से भरा पड़ा है। तीन सौ साल पहले चमकौर और सरहिंद में युद्ध लड़े गए। इनमें एक तरफ मुगल साम्राज्य था जो सांप्रदायिक चरमपंथ के प्रति अंधा था और दूसरी तरफ हमारे गुरु थे। एक तरफ आतंकवाद था और दूसरी तरफ आध्यात्म। एक तरफ सांप्रदायिक अशांति थी तो दूसरी तरफ स्वतंत्रता थी। एक तरफ लाखों की संख्या में सैनिक थे और दूसरी तरफ साहिबजादे थे जो पीछे नहीं हटे। साहिबजादे हमें प्रेरित करने वाली पीढ़ी है।
औरंगजेब के आतंक के खिलाफ डटकर खड़े रहे गुरु गोबिंद सिंह जी- पीएम मोदी
पीएम मोदी बोले- गुरु गोबिंद सिंह औरंगजेब के आतंक और भारत को बदलने की उसकी नीयत के खिलाफ डटकर खड़े रहे। औरंगजेब और उसके लोग तलवार का डर दिखाकर गुरु गोबिंद सिंह और उनके बच्चों का धर्म बदलना चाहते थे, लेकिन वे अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हए। एक देश जहां का इतिहास ऐसा है उसे तो आत्मविश्ववास से भरा होना चाहिए लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि हमें कुछ खास कहानियां ही पढ़ाई गईं, जिससे हीनभावना आती है। अगर हम भारत को नई ऊंचाईयों तक ले जाना चाहते हैं तो हमें इतिहास को छोटे नजरिए से देखना बंद करना होगा।