शुक्रवार को दिल्ली मेयर और डिप्टी मेयर का सदन में भारी हंगामे के बाद चुनाव नहीं होने के बाद अब आम आदमी पार्टी और भाजपा सड़कों पर उतर आई है और एक दूसरे के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है। LG वीके सक्सेना के ऑफिस के बाहर सैंकड़ों AAP के कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे हैं। AAP विधायक आतिशी ने मांग की है कि भाजपा और लेफ्टिनेंट गवर्नर (LG) वीके सक्सेना लिखित में स्टेटमेंट दे कि नॉमिनेटेड सदस्य वोट नहीं डालेंगे।
वहीं, भाजपा कार्यकर्त्ता राजघाट में धरना दे रहे हैं। उनका कहना है कि AAP पार्षदों ने महिला पीठासीन अधिकारी के साथ गाली-गलौच की है। उनके ऊपर कुर्सी फेंकी है। BJP ने LG से मांग की है कि ऐसे AAP नेताओं पर कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।
सदन में दोनों पार्टियों के सदस्यों के बीच हुई थी हाथापाई
बता दें कि शुक्रवार सुबह 11 बजे पार्षदों का शपथ ग्रहण शुरू होना था, लेकिन प्रोटेम स्पीकर ने सबसे पहले मनोनीत सदस्यों को जैसे ही शपथ दिलानी शुरू की, आम आदमी पार्टी (AAP) के सदस्यों ने विरोध शुरू कर दिया। इससे बीजेपी पार्षद भी इनके खिलाफ नारेबाजी करने लगे। दोनों पक्षों के बीच धक्का-मुक्की और हाथापाई होने लगी। AAP के पार्षद प्रोटेम स्पीकर के आसन पर चढ़ गए। इस दौरान कुछ पार्षद कुर्सी उठाकर पटकते देखे गए। कुछ धक्का लगने से नीचे गिर गए। कुछ को चोटें आईं।
एलजी का पक्ष आया, 10 मनोनीत सदस्य एक्ट के तहत
इसी बीच दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना के ऑफिस की तरफ से एक बयान आया। इसमें कहा गया कि दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन 1957 एक्ट के तहत 10 लोगों को मनोनीत किया गया है। इस एक्ट में कहा गया है कि जिन लोगों को म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन का अनुभव या ज्ञान हो, उन्हें LG नॉमिनेट कर सकते हैं। इनकी उम्र 25 साल से ज्यादा होनी चाहिए। ये सदस्य मेयर या डिप्टी मेयर के चुनाव में वोट नहीं डाल सकते।
ऐसे शुरु हुआ विवाद
एलजी ने मेयर चुनाव के लिए बीजेपी की पार्षद सत्या शर्मा को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया। इससे पहले AAP ने मुकेश गोयल के नाम का प्रस्ताव रखा था। सत्या के नाम पर AAP ने आपत्ति जताई। इसके बाद प्रोटेम स्पीकर सत्या ने जैसे ही एलजी के मनोनीत सदस्यों को शपथ दिलानी शुरू की तो AAP ने विरोध और नारेबाजी शुरू कर दी।
आम आदमी पार्टी का कहना है कि मनोनीत सदस्यों की शपथ पहले नहीं होती है, लेकिन भाजपा परंपरा बदल रही है। भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा कि AAP नेताओं को नियमों की जानकारी नहीं है। इसलिए वह हंगामा कर रहे हैं। जब वे बहुमत में हैं, तो डरते क्यों हैं? यही काम आप सांसद राज्यसभा में भी करते हैं।