आटा खुले में 38-40 रुपए और ब्रांडेड पैक में 45-55 रुपए प्रति किलो बिक रहा है। जनवरी 2022 में जो भाव थे, उसके मुकाबले ये 40% से भी ज्यादा है। कमोडिटी विश्लेषकों का कहना है कि सरकार यदि स्टॉक का गेहूं खुले बाजार में जारी नहीं करती है तो आटे के भाव में और तेजी आ सकती है।
वहीं पंजाब की बात करें तो भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की ओर से करीब पांच माह से गेहूं के टेंडर जारी न होने से पंजाब की आटा मिलों में काम लगभग ठप हो गया है। बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार की ओर से ओपन मार्केट सेल स्कीम (ओएमएसएस) को रिवाइज नहीं किया गया है, जिसकी वजह से एफसीआई के ऑनलाइन टेंडर लटक गए हैं। इसके चलते बाजार में आटा और मैदा समेत इनसे बने उत्पाद महंगे हो गए हैं।
बाजार में हो सकती है आटे की किल्लत
आटे के दाम बाजार में 3,400 से 3,700 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गए हैं। अगर यही हालात रहे तो बाजार में आटे की किल्लत हो सकती है, जिससे कालाबाजारी बढ़ने की आशंका है। हालांकि खाद्य आपूर्ति निगम का दावा है कि एफसीआई के पास गेहूं का पर्याप्त स्टॉक है। खुदरा बाजार में आटा और मैदा के दाम में 15 से 20 रुपये प्रति दस किलोग्राम तक बढ़ोतरी हो गई है, जबकि विभिन्न ब्रांड की ब्रेड भी पांच रुपये तक महंगी हो गई है।
निर्यात पर पाबंदी के बावजूद जनवरी में गेहूं के भाव 7-10% बढ़े
दरअसल देश में बीते कुछ समय से गेहूं के भाव लगातार बढ़ रहे हैं। निर्यात पर पाबंदी के बावजूद जनवरी में गेहूं के भाव 7-10% बढ़े हैं। चालू सीजन के लिए सरकार का न्यूनतम खरीद मूल्य (एमएसपी) 2,125 रुपए प्रति क्विंटल है। लेकिन मंगलवार को इंदौर में गेहूं के भाव 31,00 रुपए प्रति क्विंटल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए।
दिल्ली में गेहूं 3,150 रुपए बिका, जबकि देश के कई हिस्सों में ये 3200 रुपए से ऊपर निकल गया। इसका असर न सिर्फ आटे पर, बल्कि इससे तैयार होने वाले सभी प्रोडक्ट्स के दाम पर देखा जा रहा है।
एक माह में 20% तक तेजी
गेहूं महंगा होने से आटा, मैदा, सूजी के भाव भी महीने भर में 15-20% तक बढ़ चुके हैं। सरकार से ओपन मार्केट में गेहूं बेचने की उम्मीद कर रहे मिल मालिकों ने भी अब महंगे दाम पर ही गेहूं खरीदना शुरू कर दिया है। इससे आटा महंगा हो रहा है।
बफर स्टॉक से सरप्लस गेहूं, फिर भी खुले मार्केट में बिक्री नहीं
निजी अखबार को जानकारी देते हुए ओरिगो कमोडिटी के सीनियर मैनेजर इंद्रजीत पॉल ने बताया कि सरकारी गोदामों में करीब 115 लाख टन गेहूं है। ये बफर स्टॉक की सीमा 74 लाख टन से 41 लाख टन ज्यादा है। सरकार ने यदि 15 दिन में ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत गेहूं बाजार में नहीं बेचा तो आटे के भाव 5-6% और बढ़ सकते हैं।
अप्रैल से राहत की संभावना
पॉल ने बताया कि गेहूं का नया स्टॉक मार्च-अप्रैल में बाजार में आएगा। उसके बाद ही भाव में कमी आने की संभावना है। हालांकि इस बीच यदि सरकार अपना स्टॉक बेचती है तो भाव गिरने शुरू हो सकते हैं।
पंजाब के पास 116.32 एलएमटी खाद्यान मौजूद : घनश्याम
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एफसीआई पंजाब के चंडीगढ़ स्थित उपमहानिदेशक (सामान्य) सीएच घनश्याम ने बताया कि निगम के पंजाब स्थित गोदामों में 116.32 मीट्रिक लाख टन (एमलटी) खाद्यान मौजूद है। इसमें गेहूं के अलावा चावल भी शामिल है। पीडीसी के लिए खाद्यान की कोई कमी नहीं है। केंद्र की ओर से पॉलिसी रिलीज नहीं की गई है। इसके जारी होते ही ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत ऑनलाइन टेंडर खोल दिए जाएंगे।
रूस-यूक्रेन युद्ध में आटे का निर्यात भी बड़ी वजह
सूत्रों के अनुसार रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के दौरान देश से लगभग 45 लाख टन गेहूं निर्यात किया गया। देश में गेहूं की कमी की यह भी एक बड़ी वजह मानी जा रही है। हालांकि राज्य की आटा मिलों को उम्मीद है कि गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान से गेहूं की आवक 28 फरवरी से शुरू हो सकती है, क्योंकि उन राज्यों में तेज गर्मी के कारण गेहूं की आवक फरवरी में शुरू हो जाती है, जबकि पंजाब का गेहूं अप्रैल में आना शुरू होगा।