सिंधु जल समझौते (IWT) में मनमाने बदलाव के खिलाफ भारत ने पाकिस्तान को नोटिस जारी किया है। न्यूज एजेंसीस के मुताबिक, सितंबर 1960 के समझौते के मामले में 25 जनवरी को यह नोटिस संबंधित कमिश्नर्स को दिया गया है। निजी अखबार के मुताबिक-सरकारी सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान की तरफ से इस समझौते में मनमाने बदलाव करने की वजह से भारत सरकार ने ये कदम उठाया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के बार-बार कहने पर वर्ल्ड बैंक ने हाल ही में न्यूट्रल एक्सर्ट और कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन प्रोसेस पर कार्रवाई शुरू की है। जबकि IWT के किसी भी प्रावधान के तहत इस समझौते में ऐसे किसी एक्शन का जिक्र नहीं है।
बातचीत के लिए टीम बनाए पाकिस्तान
IWT में संशोधन को लेकर दिए गए भारत के इस नोटिस के जरिए पाकिस्तान को IWT के भौतिक उल्लंघन (मटेरियल ब्रीच) को सुधारने के लिए 90 दिनों के अंदर इंटर गवर्नमेंट नेगोशिएशन पैनल बनाने को कहा गया है।
सिंधु जल संधि पानी के बंटवारे की वह व्यवस्था है जिस पर 19 सितंबर, 1960 को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने कराची में हस्ताक्षर किए थे। इसमें छह नदियों ब्यास, रावी, सतलुज, सिंधु, चिनाब और झेलम के पानी के वितरण और इस्तेमाल करने के अधिकार शामिल हैं। इस समझौते के लिए वर्ल्ड बैंक ने मध्यस्थता की थी।
भारत का हिस्सा 3.3 करोड़ एकड़ फीट
इन नदियों के कुल 16.8 करोड़ एकड़-फीट में भारत का हिस्सा 3.3 करोड़ एकड़-फीट है, जो लगभग 20 प्रतिशत है। वहीं, पश्चिम की नदियां सिंधु (इंडस), चिनाब और झेलम का पानी पाकिस्तान को दिया गया है। हालांकि, भारत को अधिकार है कि वह इन नदियों के पानी को कृषि, घरेलू काम में इस्तेमाल कर सकता है। इसके साथ ही भारत निश्चित मापदंडों के भीतर हाइड्रोइलेक्ट्रिक पॉवर प्रोजेक्ट भी बना सकता है।
इंडस कमीशन को जानिए
इंडस वाटर ट्रीटी (सिंधु जल संधि) के तहत बने परमानेंट इंडस कमीशन पर 1960 में भारत और पाकिस्तान ने हस्ताक्षर किए थे। इस कमीशन के तहत दोनों देशों में कमिश्नर नियुक्त किए गए थे। वे सरकारों के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हैं। इस ट्रीटी के चलते दोनों देशों के कमिश्नरों को साल में एक बार मिलना होता है। उनकी बैठक एक साल भारत और एक साल पाकिस्तान में होती है।