एसवाईएल को लेकर दिल्ली में केंद्रीय मंत्री गजेदर शेखावत की अध्यक्षता में पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों के बीच हुई बैठक बेनतीजा रही। मुलाकात के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि हमने पंजाब का पुरजोर समर्थन किया है। उनका कहना है कि केंद्र ने अब तक एक रुपया नहीं दिया बल्कि पानी मांग रहा है। पंजाब के पास एसवाईएल के लिए पानी नहीं है। पंजाब के सीएम का कहना है कि पंजाब में 78 फीसदी ब्लॉक डार्क जोन हैं। उन्होंने कहा है कि यमुना-सतलज लिंक बनाने के बजाय हमें यमुना का पानी दिया जाए। अब 19 जनवरी को इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। सतलुज-यमुना लिंक मुद्दे पर पंजाब पहले ही अपना स्टैंड साफ कर चुका है। पंजाब की सरकारें समय-समय पर कहती रही हैं कि राज्य के पास किसी को देने के लिए अतिरिक्त पानी नहीं है। एसवाईएल की जगह बने वाईएसएल पंजाब के सीएम का कहना है कि एसवाईएल की जगह वाईएसएल बननी चाहिए। उनका कहना है कि यमुना सतलुज को जोड़ा जाए और पंजाब को पानी दिया जाए। उनका कहना है कि सतलुज नदी बन गई है तो यमुना नदी का पानी पंजाब को दिया जाए। मान ने कहा कि पानी का वितरण ठीक से नहीं किया गया है। जलस्तर दिनों-दिन घटता जा रहा है। पंजाब में पानी नहीं है तो पानी कहां से दें। सीएम ने कहा, हमारे वकील सुप्रीम कोर्ट जाएंगे और पंजाब की पैरवी करेंगे। सुप्रीम कोर्ट में रखेंगे अपना पक्षः खट्टर हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर का कहना है कि पंजाब के सीएम का रवैया काफी सख्त था। उनका कहना है कि अब तक कई बैठकें हो चुकी हैं लेकिन कोई खास निष्कर्ष नहीं निकला है। उनका कहना है कि एसवाईएल का गठन होना चाहिए। अब हम सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे। उनका कहना है कि एसवाईएल के निर्माण के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बैठक करने को कहा था लेकिन पानी बांटना ट्रिब्यूनल का काम है। उनका कहना है कि 2004 का एक्ट भी पंजाब सरकार को मंजूर नहीं है। खट्टर बोले सुप्रीम कोर्ट का फैसला हमें मंजूर होगा। 4 महीने में भी बात नहीं बन पाई मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि दोनों राज्यों के बीच 1981 से एसवाईएल का विवाद चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने 4 महीने में दोनों राज्यों को मौका दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 4 महीने के भीतर समाधान निकालने के लिए बैठक बुलाई थी लेकिन बैठक में कोई सहमति नहीं बन पाई है। इससे पहले हुई मीटिंग में मुख्यमंत्री मान ने कहा कि हरियाणा को जल बंदोबस्त के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील करनी चाहिए। मान के मुताबिक, 1981 में हुआ एसवाईएल समझौता 42 साल बाद लागू नहीं हो सकता क्योंकि पंजाब का जलस्तर नीचे चला गया है। उन्होंने दावा किया कि पंजाब में पहले 42.2 लाख फुट पानी था, अब कुल 1.22 करोड़ एकड़ पानी बचा है। हरियाणा में 14.10 मिलियन फीट पानी है। दूसरी नदियों का पानी भी हरियाणा के पास है, जिसे किसी खाते में नहीं रखा गया है।