पिछले कई दिनों से भू-धंसाव के खतरे से जूझ रहे जोशीमठ में शुक्रवार सुबह सीजन की पहली बर्फबारी हुई। ताजा बर्फबारी ने जोशीमठ के बाशिंदों की दहशत बढ़ा दी है। बर्फबारी के चलते खतरे के निशान वाले घरों को गिराने का काम शुक्रवार को रोक दिया गया है। मौसम विभाग ने 23 और 24 जनवरी को भी जोशीमठ, चमोली और पिथौरागढ़ में बारिश और बर्फबारी की संभावना जताई है।
उधर राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (NIH) की प्राइमरी टेस्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तराखंड में भू-धंसाव से प्रभावित जोशीमठ की जेपी कॉलोनी की दरारों से निकलने वाला पानी तपोवन की NTPC की सुरंग के पानी से अलग है।
आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने दोनों जगहों के पानी के नमूनों का अध्ययन करने वाली प्राइमरी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि उनके प्रोफाइल अलग-अलग हैं। उन्होंने कहा- “हालांकि, यह सिर्फ एक प्राइमरी रिपोर्ट है जिसका कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जाना चाहिए।

जोशीमठ संकट की वजह एनटीपीसी को बताया गया
NIH की यह रिपोर्ट इसलिए भी मायने रखती है क्योंकि जोशीमठ के धंसने की वजह एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगढ़ पनबिजली परियोजना को बताया गया था। आरोप ये भी थे कि 2 जनवरी को प्रोजेक्ट का भूमिगत चैनल फट गया, जिससे लगातार पानी बहता रहा है।
बर्फबारी के चलते रोका गया काम
बारिश और बर्फबारी के चलते होटल और खतरनाक घरों को गिराने का काम रोक दिया गया है। डिजास्टर मैनेजमेंट सेक्रेटरी डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा के मुताबिक पिछले 3 दिनों से दरार में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। जेपी कॉलोनी के पास एक भूमिगत चैनल से पानी का डिस्चार्ज फिर से बढ़कर 150 लीटर प्रति मिनट हो गया है। 849 घरों में दरारें रिकॉर्ड हुई हैं, जबकि 259 प्रभावित परिवारों को अस्थायी राहत केंद्रों में भेज दिया गया है।