उत्तराखंड के जोशी मठ में जमीन धंस रही है। 561 घरों में दरारें आ गई हैं। इसके बावजूद NTPC के हाइडल प्रोजेक्ट की सुरंग और चार धाम ऑल-वेदर रोड (हेलंग-मारवाड़ी बाइपास) का काम रोका नहीं गया है। ये हाल तब है, जब सरकार ने इन पर तत्काल रोक लगा दी थी। इसके बाद कागजों पर काम बंद हो गया, लेकिन मौके पर बड़ी मशीनें लगातार पहाड़ खोद रही हैं। इधर, जोशीमठ में लगातार भूजल रिसाव हो रहा है। हालात बदतर होते जा रहे हैं। 50 हजार की आबादी वाले शहर का दिन तो कट जाता है, लेकिन रात ठहर जाती है। लोग कड़ाके की ठंड में घर के बाहर रहने को मजबूर हैं। उन्हें डर लगा रहता है कि घर कभी भी ढह सकता है। सबसे ज्यादा असर जोशीमठ के रविग्राम, गांधीनगर और सुनील वार्डों में है। यह शहर 4,677 वर्ग किमी में फैला है।

मुख्यमंत्री भी पहुंचे हालात का जायजा लेने
मुख्यमंत्री आज शनिवार को जोशीमठ ग्राउंड जीरो हालात का जायजा लेने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने यहां प्रभावितों से बातचीत की। कहा कि प्रभावितों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना उनकी पहली प्रथामिकता है। मुख्यमंत्री ने इससे पहले जोशीमठ के संबंध में अधिकारियों से रिपोर्ट ली। शुक्रवार को उन्होंने जोशीमठ में हो रहे भू धंसाव मामले में उच्चस्तरीय बैठक बुलाई ।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जोशीमठ भू-धंसाव के कारण अति संवेदनशील (डेंजर जोन) वाले क्षेत्रों में बने भवनों को तत्काल खाली कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने प्रभावितों को आश्वस्त किया कि सरकार उनके साथ खड़ी है और चरणबद्ध ढंग से संवेदनशील जगहों से सबको शिफ्ट किया जाएगा।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए विशेषज्ञों से की बात
मुख्यमंत्री राज्य सचिवालय में जोशीमठ में हो रहे भूस्खलन से पैदा हुए हालात की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में धामी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जोशीमठ गए विशेषज्ञ दल के सदस्यों से भी जुड़े। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को सुरक्षित स्थान पर एक बड़ा अस्थायी पुनर्वास केंद्र बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि तात्कालिक एक्शन प्लान के साथ ही दीर्घकालीन कार्यों में भी लंबी प्रक्रिया को समाप्त करते हुए डेंजर जोन के ट्रीटमेंट, सीवर तथा ड्रेनेज जैसे कार्य जल्द से जल्द पूरे किए जाएं। कहा, इसमें सरलीकरण तथा त्वरित कार्रवाई ही हमारा सबसे बड़ा मूलमंत्र होना चाहिए।
एक मंदिर ढह चुका है
जोशीमठ के 561 घरों में दरारें आ गई हैं। सिंगधार वार्ड में शुक्रवार शाम एक मंदिर ढह गया। शुक्रवार देर रात तक 50 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है। केंद्र सरकार ने NTPC तपोवन-विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना और हेलंग बाईपास का काम अगले आदेश तक रोक दिया है। प्रशासन और राज्य आपदा प्रबंधन के अधिकारियों समेत विशेषज्ञों की एक टीम ने जोशीमठ में प्रभावित क्षेत्रों में डोर-टु-डोर सर्वे शुरू किया है।

6 महीने तक घरों का किराया देगी राज्य सरकार
सरकार ने उन परिवारों को किराए के मकान में जाने को कहा है, जिनके घर रहने लायक नहीं हैं या क्षतिग्रस्त हो गए हैं। सरकार उन्हें किराये के तौर पर हर महीने 4 हजार रुपए देगी। यह राशि 6 अगले महीने तक CM रिलीफ फंड से मुहैया कराई जाएगी। हालांकि कई घरों के लोग पहले से ही शेल्टर होम्स में पनाह लेने को मजबूर हैं। क्योंकि इनके घरों की हालत काफी बदतर हो चुकी है। उन्हें डर है कि किसी भी वक्त उनका घर गिर सकता है।