सदन का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होगा जिस दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगी। संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। जोशी ने ट्वीट किया, ‘बजट सत्र में 27 बैठकें होंगी और यह 6 अप्रैल तक चलेगा । सत्र का पहला चरण 31 जनवरी से 14 फरवरी तक होगा। ’ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को आम बजट पेश करेंगी।
इस बीच उद्योग जगत के जानकारों और अर्थशास्त्रियों का मानना है कि सरकार वैश्विक मंदी की आशंकाओं के बीच सरकार का ध्यान इस बार के बजट में निरंतरता के साथ विकास का उच्च दर बनाए रखने पर होगा। व्यापक तौर पर देखें तो वर्ष 2023-24 के बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री निर्माण क्षेत्र और विकास को बढ़ावा देने के लिए बड़ी नीतिगत घोषणाएं कर सकती हैं।
बजट सत्र का दूसरा चरण 12 मार्च से होगा शुरु
करीब एक महीने के अवकाश के बाद बजट सत्र का दूसरा चरण 12 मार्च से शुरू होगा और 6 अप्रैल तक चलेगा। संसदीय मामलों के मंत्री ने कहा, ‘ अमृतकाल में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव, आम बजट और अन्य विषयों पर चर्चा को लेकर आशान्वित हैं। 1 फरवरी 2023 को मोदी सरकार अपना 10वां पूर्ण बजट पेश करेगी। सरकार इस बजट में किसी तरह की गलती नहीं करना चाहेगी क्योंकि इसके अगले साल यानी 2024 में लोकसभा का चुनाव होगा।
लेकिन सरकार के सामने न सिर्फ चुनाव की चुनौती है, राजकोषीय घाटा, बेरोजगारी और चीन के साथ ट्रेड डेफिसिट को कम करना और ग्लोबल मार्केट में अपनी पकड़ मजबूत बनाना भी है। इन्हीं बातों का ध्यान रखते हुए पीएम मोदी ने खुद ट्वीट कर नवंबर महीने में जनता से बजट के लिए सुझाव मांगे थे और 13 जनवरी को अर्थशास्त्रियों के साथ मीटिंग भी बजट की तैयारी का ही एक भाग है।
राजकोषीय घाटे को कम करने पर सरकार का फोकस
अर्थशास्त्रियों की माने तो वो उम्मीद नहीं कर रहे हैं न ही सरकार को सुझाव दे रहे हैं बल्कि सरकार इस बजट में जो काम करने वाली है उसमें सबसे पहला काम राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए कदम उठना होगा। उन्होने कहा कि सरकार ऐसे कदम उठाएगी जिससे देश के वित्तीय घाटे को 6.4 फीसदी से घटाकर 5.5 फीसदी लाया जा सके।
माहिरों ने ‘वित्तीय जिम्मेदारी और बजट मैनेजमेंट’ यानी FRBM का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्र सरकार का मुख्य उद्देश्य राजकोषीय प्रबंधन और दीर्घकालिक वृहद-आर्थिक स्थिरता में सुनिश्चित करनी की है और इसके लिए देश के वित्तीय घाटे को 4.5 फीसदी करने की जरूरत है।