मांगों को लेकर हरियाणा के जींद में संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के आह्वान पर गुरुवार को नई अनाज मंडी में किसान महापंचायत चल रही है। हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड समेत कई राज्यों से हजारों की संख्या में किसान पहुंचे हैं। सुबह से ही जींद-नरवाना नेशनल हाइवे पर जाम की स्थिति बनी रही। भाकियू के राष्ट्रीय प्रेस प्रवक्ता राकेश टिकैत, राष्ट्रीय महासचिव युद्धवीर सिंह, पंजाब से जोगेंद्र उग्राहां समेत कई बड़े किसान नेता रैली पहुंचे हैं।
भारतीय किसान यूनियन के प्रेस प्रवक्ता रामराजी ढुल ने बताया कि महापंचायत में किसानों का आना जारी है। 21 फरवरी 1999 को जीन्द के हुड्डा ग्राउंड में किसानों की एक बड़ी रैली हुई थी। जिसकी अध्यक्षता भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्व. चौ. महेन्द्र सिंह टिकैत ने की थी। उस दौर में प्रदेश अध्यक्ष स्व चौ. घासी राम नैन हुआ करते थे। इतनी ही भीड़ गुरुवार की महापंचायत में जुटी है। जींद-नरवाना हाईवे पर रात 9 बजे से ही लंगर सेवा शुरू की गई थी। डूमरखां, उचाना समेत रास्ते में कई जगह लंगर सेवा चलती रही।
देश में भाजपा नहीं कंपनी की सरकार चल रही
जींद की नई अनाज मंडी में गुरुवार को किसान महापंचायत का आयोजन किया। महापंचायत में पहुंचे भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रेस प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि देश में भाजपा नहीं, कंपनी की सरकार चल रही है। इस सरकार में जो ज्यादा दाम लगाता है, उसी की चलती है।

पशुओं को भूखा मारने का षडयंत्र रचा जा रहा
टिकैत ने कहा कि भाजपा पशुओं को भूखा मारने का षड्यंत्र रच रही है। सरकार की तरफ से अभी एक दवाई लाई गई है, जो घास व पौधों पर छिड़की जाएगी। इस दवाई के कारण आवारा पशु पौधों को नहीं खाएंगे लेकिन यही घास जब गांव में जाएगी तो गांव के पशु भी इस घास को नहीं खाएंगे। इस कारण पशु भूखे मर जाएंगे। भाजपा देश के किसान के पशुओं को भूखा मारने पर तुली हुई है।
टिकैत ने कहा ये वैचारिक लड़ाई है
राकेश टिकैत ने कहा कि यह हमारी वैचारिक लड़ाई है। लोग जागरूक हो रहे हैं आज किसान जाग रहा है। इस वैचारिक क्रांति से ही हम अपनी मांगों को पूरा करवाएंगे। गन्ने के रेट दस रुपये बढ़ाने पर उन्होंने कहा कि यह बहुत कम है। सरकार ने बीस रुपये भाड़े के रूप में काट लिए हैं, इससे गन्ने का रेट और कम हो जाएगा। हरियाणा में गन्ने का रेट पहले सबसे अधिक होता था लेकिन भाजपा सरकार अब हरियाणा के किसान को भी आर्थिक रूप से पीछे धकेल रही है। हम आंदोलन लड़ रहे हैं गन्ने का रेट 500 रुपये प्रति क्विंटल हो तो किसान का कुछ भला हो सकता है। हरियाणा और उत्तर प्रदेश का किसान कोई अलग नहीं है। पूरे देश का किसान एक है। हमारी सबकी मांगें समान हैं। एमएसपी हमारी सबसे प्रमुख मांग है।
ये है मुख्य मांगे
– स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण हो। और उसी आधार पर खरीद की कानूनी गारंटी दी जाए।
-कर्जदार किसानों व खेत मजदूरों को कर्जा मुक्त किया जाए ।
-बिजली संशोधन विधेयक 2022 वापस लिया जाए ।
-लखीमपुर खीरी कांड में आरोपित गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करके गिरफ्तार किया जाए और गिरफ्तार किए गए निर्दोष किसानों को रिहा किया जाए ।
-आंदोलन के दौरान बनाए गए मुकदमे वापस हों।
-फसल खराब के सभी लंबित मुआवजों का तुरंत भुगतान करो ।
-गन्ने का रेट 450 रुपए प्रति क्विंटल करो
-300 यूनिट तक बिजली मुफ्त हो ।
-यौन शोषण के आरोप में फंसे मंत्री संदीप सिंह व WFI अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह को बर्खास्त करके गिरफ्तार किया जाए।