सिद्धू को रिहाई न मिलने पर भड़की पत्नी बोली- वे खूंखार जानवर की कैटेगिरी में आते हैं

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पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिद्धू को गणतंत्र दिवस पर आजादी नहीं मिल सकी। उनकी रिहाई के लिए घर में टेंट लगा तैयारियां की गई थी। जो सब धरी रह गई। हालांकि सिद्धू के पटियाला स्थित घर पर उनके समर्थक कांग्रेस नेता जुटे हुए हैं।

सिद्धू की रिहाई न होने पर उनकी पत्नी डॉक्टर नवजोत कौर सिद्धू ने गुस्सा जाहिर किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा- नवजोत सिद्धू एक खूंखार जानवर की कैटेगरी में आते हैं। इसी वजह से उन्हें आजादी के 75वें वर्ष में रिहाई की राहत नहीं दी जा रही है। सभी से गुजारिश है कि उनसे दूर रहें।

सूत्रों के मुताबिक सिद्धू समेत दूसरे कैदियों की रिहाई के लिए कैबिनेट की मीटिंग होनी थी, मगर यह मीटिंग ही नहीं हुई। वहीं यह भी चर्चा है कि सिद्धू को एक साल की कैद हुई है तो उनकी अधिकतम 1 महीने की सजा माफ की जा सकती है लेकिन अभी वह इस दायरे में नहीं आ रहे हैं।

सिद्धू के अकाउंट से जारी हुआ था रूट मैप
नवजोत सिद्धू की रिहाई की चर्चा तब सामने आई, जब उनके वैरिफाइड सोशल मीडिया अकाउंट्स से रूट मैप शेयर किया गया। जिसमें कहा गया कि सिद्धू पटियाला सेंट्रल जेल से निकलकर कुछ जगहों पर रुकेंगे। जहां उनका स्वागत किया जा सकता है। उनके समर्थकों को वहां इकट्‌ठा होने की भी अपील की गई।

पटियाला में स्वागती बोर्ड उतारे गए
नवजोत सिद्धू के स्वागत में पटियाला में कई जगहों पर समर्थकों ने बोर्ड लगा दिए थे। इसका पता लगते ही पटियाला नगर निगम ने ये बोर्ड उतरवाने शुरू कर दिए हैं। लुधियाना में भी उनके समर्थकों ने बोर्ड लगाए थे, जिसके जरिए खूब चर्चा थी कि सिद्धू बाहर आ सकते हैं।

राहुल की रैली का मिला था न्योता
नवजोत सिद्धू को 30 जनवरी को राहुल गांधी की श्रीनगर रैली में बुलाया गया है। अगर वह आज जेल से बाहर आते तो रैली में भी जा सकते थे। जेल में बंद होने की वजह से वह भारत जोड़ो यात्रा में शामिल नहीं हो सके थे लेकिन सिद्धू का परिवार भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुआ था।

रोड रेज केस में हुई थी सजा
रोड रेज के 34 साल पुराने मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू को 1 साल की सजा सुनाई थी। 1988 में पंजाब में हुई रोड रेज की एक घटना में सिद्धू के मुक्के से एक बुजुर्ग की मौत हो गई थी। इस मामले हाईकोर्ट ने सिद्धू को एक साल कैद की सजा दी थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को गैर-इरादतन हत्या से बरी कर दिया था और एक हजार रुपए का जुर्माना लगाया था। इस मामले में पीड़ित परिवार ने रिव्यू पिटीशन दायर कर दी। जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को एक साल की सजा सुना दी।

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