साहित्यकार डॉ. रतन सिंह जग्गी को पद्मश्री: 70 साल साहित्य की सेवा में समर्पित

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भारत सरकार द्वारा पंजाब के साहित्यकार डॉ. रतन सिंह जग्गी को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में पद्मश्री सम्मान दिए जाने की घोषणा की गई है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा 74वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या के अवसर पर पद्म सम्मान 2023 की सूची को मंजूरी दी गई।

डॉ रतन सिंह जग्गी पंजाबी और हिंदी साहित्य व विशेष तौर पर गुरमति साहित्य के बड़े प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उन्होंने अपने जीवन का 70 साल से अधिक समय पंजाबी-हिंदी साहित्य और गुरमति साहित्य की सेवा में समर्पित किया है। साल 1962 में पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ से ‘दशम ग्रंथ का पौराणिक अध्ययन’ विषय में PHD की डिग्री हासिल की।

इसके बाद ‘दशम ग्रंथ की पौराणिक पृष्ठभूमि’ नामक पुस्तक लोगों की सेवा में समर्पित की। इस पर भाषा विभाग, पंजाब द्वारा पहला पुरस्कार भी दिया गया। इसकी साहित्य जगत की कई प्रसिद्ध शख्सियतों द्वारा काफी प्रशंसा की गई।

दशम ग्रंथ का टीका तैयार कर पांच भागों में विमोचन
दशम ग्रंथ को लेकर डॉक्टर जग्गी द्वारा साल 2000 में ‘दशम ग्रंथ का टीका’ तैयार किया गया। इसका गोबिंद सदन, दिल्ली द्वारा पांच भागों में विमोचन हुआ। उन्हें “दशम ग्रंथ” के विषय पर बतौर अथॉरिटी माना जाता है। साल 1973 में डॉ रतन सिंह जग्गी द्वारा मगध यूनिवर्सिटी बोध गया से डि. लीट. की डिग्री प्राप्त की गई, जिसमें उनका हिंदी में विषय, श्री गुरु नानक व्यक्तित्व, कृतित्व और चिंतन था। इस पुस्तक पर भी भाषा विभाग, पंजाब द्वारा प्रथम पुरस्कार दिया गया।

श्री गुरु नानक वाणी को लेकर डॉक्टर जग्गी द्वारा कई पुस्तकें समाज को समर्पित की गई और श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पूर्व के अवसर पर पंजाब सरकार द्वारा ‘गुरु नानक वाणी पाठ पर व्याख्या’ नामक पुस्तक डॉक्टर जग्गी से पंजाबी और हिंदी में तैयार करवा कर आवंटित की गई।

ग्रंथ साहिब जी की वाणी की विस्तार पूर्वक व्याख्या
डॉक्टर जग्गी द्वारा साल 2013 में “भाव प्रबोधनी टीका श्री गुरु ग्रंथ साहिब” नामक एक विस्तारपूर्वक टीका तैयार किया गया, जिसे 8 भागों में पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला द्वारा प्रकाशित किया गया। इसमें श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की वाणी की विस्तार पूर्वक व्याख्या से यह लोगों और विशेष तौर पर सिख जगत के लिए लाभदायक सिद्ध हो रही है। साल 2017 में उन्होंने पूरे गुरु ग्रंथ साहिब का हिंदी में टीका करके पांच जिल्द में प्रकाशित किया है।

95 वर्ष की आयु में भी सेवाएं प्रदान कर रहे
डॉ. रतन सिंह जग्गी 95 वर्ष की आयु में भी समाज को अपनी सर्वश्रेष्ठ और अमूल्य साहित्यिक सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने अब तक समाज को लगभग 144 पुस्तकें समर्पित की हैं। पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला द्वारा उन्हें लाइफ फैलोशिप प्रदान की गई है।

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