पंजाब के तीन बच्चों को मिलेगा वीरता पुरस्कार, बहादुरी के किए बड़े कारनामे

0
48

भारतीय बाल कल्याण परिषद (आईसीसीडब्ल्यू) ने 56 बच्चों को वीरता पुरस्कार देने की घोषणा की। इनमें पंजाब के तीन बच्चे शामिल हैं। तीनों ने मुश्किल वक्त में न सिर्फ अपनी बहादुरी दिखाई बल्कि अपनी जान की बाजी लगाकर लोगों की जान बचाई। कोरोना की वजह से इस बार एक साथ तीन वर्षों के विजेता बच्चों को पुरस्कार दिए जाएंगे। परिषद के मुताबिक साल 2020 के लिए 22, 2021 के लिए 16 और 2022 के लिए 18 बच्चों का चयन किया गया। इन सभी बच्चों को मेडल, प्रशस्ति पत्र और नकद पुरस्कार दिया जाएगा।

जलती वैन से चार बच्चों को निकालकर बचाई जान
एकलव्य अवॉर्ड के लिए चुनी गई लौंगोवाल के गांव अमर सिंह पिंडी की अमनदीप कौर ने तीन साल पहले 2020 में अपनी जान पर खेलते हुए जलती स्कूल वैन से चार छात्रों को सुरक्षित निकालकर उनकी जान बचाई थी। अमनदीप उस समय नौंवी कक्षा में पढ़ रह थी। हादसे के वक्त वह भी वैन पर सवार थी। स्कूल से वैन निकली थी तभी उसमें आग लग गई। चालक ने वैन रोकी और उतरकर चेक करने लगा। इतने में आग फैल गई। अमनदीप ने देखा कि वैन के दरवाजे लॉक हैं।

उसने एक औजार से वैन का शीशा तोड़ा और बाहर निकल गई। इसके बाद उसने चार बच्चों को वैन से निकाला, हालांकि चार बच्चे जिंदा जल गए थे। हादसे के बाद अमनदीप कौर ने बताया कि उसने कुछ नहीं सोचा, जो दिमाग में आया उसने वह किया। उसका सपना पुलिस अफसर बनकर देश की सेवा करना है।

पीछा कर दो स्नैचरों को दबोचा था कुसुम ने
जालंधर की कुसुम कुमारी को श्रवण पुरस्कार के लिए चुना गया। 15 वर्षीय कुसुम ट्यूशन पढ़कर घर आ रही थी तभी अचानक दो बाइक सवार उसका मोबाइल छीनकर फरार हो गए। डरने के बजाय कुसुम ने स्नैचरों का पीछा कर लोगों की मदद से स्नैचरों को दबोच लिया। इस दौरान उसे चोट भी आई, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। कुसुम ताइक्वांडो की खिलाड़ी है। स्नैचरों को पकड़ने में उसने ताइक्वांडो के दांव-पेंच का भी भरपूर इस्तेमाल किया था। घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई थी। कुसुम की बहादुरी को काफी सराहा गया था। जालंधर के तत्कालीन डीसी घनश्याम थोरी ने कुसुम की बहादुरी को खूब सराहा और 51 हजार का कैश अवार्ड दिया था।

भूस्खलन में बचाई थी जान
साल 2022 में अमरनाथ में आए भूस्खलन के दौरान पंजाब के आजम कपूर ने कई लोगों के जीवन बचाने में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने इसके बारे में लोगों को जागरूक किया था, जिसके बाद कई लोग अपना जीवन बचा पाए थे। इसके चलते उन्हें पुरस्कार के लिए चुना गया है।

केंद्र ने खुद को किया अलग

मालूम हो कि 2018 तक परिषद द्वारा चुने गए बच्चों को यह पुरस्कार जहां प्रधानमंत्री के हाथों मिलता था। वहीं, इन्हें गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने का मौका भी मिलता था, लेकिन 2019 में आइसीसीडब्ल्यू पर लगे वित्तीय गड़बड़ियों के आरोपों के बाद केंद्र सरकार ने स्वयं को इन पुरस्कारों से अलग कर लिया। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अलग से अपने पुरस्कार देता है। सरकारी स्तर पर अलगाव के बाद परिषद ने अपने पुरस्कारों के नाम भी बापू गयाधनी, संजय चोपड़ा, गीता चोपड़ा की बजाय मार्कंडेय, ध्रुव एवं प्रह्लाद अवार्ड कर दिया है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here